Nuclear Abolition News and Analysis

Reporting the underreported threat of nuclear weapens and efforts by those striving for a nuclear free world.
A project of The Non-Profit International Press Syndicate Group with IDN as flagship agency in partnership with Soka Gakkai International in consultative
status with ECOSOC.

logo_idn_top
logo_sgi_top

Watch out for our new project website https://www.nuclear-abolition.com/

About us

TOWARD A NUCLEAR FREE WORLD was first launched in 2009 with a view to raising and strengthening public awareness of the urgent need for non-proliferation and ushering in a world free of nuclear weapons. Read more

IDN Global News

Japan and Kazakhstan Campaign for Nuclear-Test-Ban Treaty – HIndi

जापान और कजाखस्तान का परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि के लिए अभियान

रमेश जौरा द्वारा

वियना | टोक्यो (आईडीएन) – जून में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) द्वारा मंत्रीस्तरीय बैठक बुलाने के साथ ही, कजाखस्तान और जापान ने संधि को बलपूर्वक लागू करने के उनके प्रयासों को तेज़ करने की उनकी वचनबद्धता की पुनःपुष्टि की है।

25 जनवरी से 4 फरवरी तक ‘शांति और सुरक्षा के लिए विज्ञान और कूटनीति’ संगोष्ठी के प्रथम सप्ताह के दौरान, वियना में दो देशों के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालयों पर सितंबर 2015 को उनके संबन्धित विदेश मंत्रियों द्वारा आरंभ किए गए प्रयासों का निर्धारण करेंगे।

जापान के विदेश मंत्री फुमिओ किशिदा और उनके कजाख समकक्ष एर्लन इद्रीसोव ने 29 सितंबर, 2015 को संधि को बलपूर्वक लागू करने को सुविधाजनक बनाने पर 9वें मंत्रीस्तरीय सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की।

कजाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एब ने अस्ताना में 27 अक्तूबर, 2015 को जारी बयान में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटी) को कानून बनाने के प्रति उनकी वचनबद्धता के पीछे के कारणों को दोहराया।

“हम वे देश हैं जिन्होने परमाणु हथियारों के खतरे का अनुभव किया है और इससे भली-भांति परिचित हैं। कजाखस्तान और जापान परमाणु हथियारों द्वारा लाई गई मानवीय त्रासदियों के बारे में दुनिया भर के लोगों को जागरूक करने का नैतिक अधिकार और ज़िम्मेदारी साझा करते हैं। इस खास मिशन को ध्यान में रखते हुए, कजाखस्तान और जापान परमाणु हथियार मुक्त दुनिया को पाने के लिए करीब से साथ मिलकर काम करने के लिए दृढ़ निश्चित हैं,” एक साझा बयान में कहा गया।

जहां एक ओर दोनों देशों के प्रमुख परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के लिए वचनबद्ध हैं और ज़रूरी राजनीतिक कदम उठा रहे हैं, प्रख्यात बौद्ध दार्शनिक और शांति-निर्माता दाइसाकु इकेडा ने सीटीबीटी को बलपूर्वक लागू करने के लिए अपना जोरदार समर्थन दिया है जो कि 20 वर्षों से अधर में लटकी हुई है।

अपने वार्षिक प्रस्ताव में, जिसका शीर्षक है ‘मानव गरिमा के लिए सार्वभौमिक सम्मान: शांति की ओर महान रास्ता’, इकेडा ने जो सोका गक्कई इंटरनेश्नल (एसजीआई) बौद्ध संघ के अध्यक्ष हैं, आग्रह किया “शेष आठ राष्ट्रों को जल्द से जल्द सीटीबीटी को मंजूर करना चाहिए जिससे उसकी प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके और सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे ग्रह पर परमाणु हथियारों का परीक्षण कभी भी नहीं हो”।

आठ राष्ट्रों में चीन, मिस्र, ईरान, इज़रायल और अमेरिका शामिल हैं, जिन्होने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, और उत्तर कोरिया, भारत और पाकिस्तान ने अभी तक सीटीबीटी पर अपने हस्ताक्षर करने से इंकार किया है।

कुल मिलाकर संयुक्त राष्ट्र के 183 सदस्य राष्ट्रों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और 164 ने इसकी मंजूरी दी है। लेकिन यह केवल तभी लागू होगी जब 44 देश उनकी मंजूरी प्रक्रिया को पूरा करते हैं।

“हमें बेशक परमाणु निरस्त्रीकरण और उन्मूलन की ओर प्रयासों को तेज़ करना चाहिए। उसी समय, हमें आगे ऐसी गतिविधियों का विकास करना चाहिए जिनका विकास सीटीबीटी से हुआ हो ताकि एक ऐसी दुनिया का निर्माण करने को गति मिल सके जो कि मानवीय उद्देश्यों को सबसे अधिक प्राथमिकता देती हो,” कहना है टोक्यो आधारित एसजीआई अध्यक्ष का 26 जनवरी को जारी उनके प्रस्ताव में।

परमाणु हथियारों के मानवता पर प्रभाव और सीमित सैन्य प्रभावशीलता के ज़्यादा स्पष्ट होने के साथ ही, यह तथ्य भी स्पष्ट हो चुका है कि वे वास्तव में व्यर्थ होते हैं, कहना है एसजीआई अध्यक्ष का। “सैन्य प्रतिस्पर्धा की सीमाओं तक पहुँचने के बाद, हम अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के नए तरीके के उत्थान के संकेतों को देख रहे हैं, जो मानवीय उद्देश्यों की ओर आपसी प्रयासों के आसपास केंद्रित है।”

इसका एक उदाहरण, इकेडा ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली (आईएमएस) द्वारा किए गए विभिन्न योगदानों में पाया जा सकता है, जिसकी स्थापना 1996 में सीटीबीटी अपनाने के साथ हुई थी। सीटीबीटी अभी भी लागू होनी बाकी है, लेकिन आईएमएस, जिसे दुनियाभर में किसी भी परमाणु विस्फोट का पता लगाने के लिए सीटीबीटीओ प्रिपरेटरी आयोग द्वारा आरंभ किया गया था, पहले से ही इस दिशा में काम कर रही है, इकेडा ने ध्यान दिलाया।

आईएमएस एक अनोखी और व्यापक जांच व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है ताकि सभी परमाणु विस्फोटों का पता लगाना सुनिश्चित किया जा सके। पूरा होने पर, परमाणु विस्फोटों के संकेतों के लिए ग्रह पर नज़र रखने के लिए आईएमएस में दुनियाभर की 337 सुविधाएं शामिल होंगी। लगभग 90 प्रतिशत सुविधाएं पहले से काम कर रही हैं।

एसजीआई अध्यक्ष ने आईएमएस की प्रशंसा की है: “इसके मूल कार्य का प्रदर्शन एक बार दोबारा देखने को मिला जब उत्तर कोरिया द्वारा हाल ही में (जनवरी 6) किए गए परमाणु परीक्षण से पैदा होने वाली भूकंपीय तरंगों और विकिरण का तेज़ी से पता लगाया गया। इसके अलावा, विश्व आईएमएस नेटवर्क का इस्तेमाल प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए किया गया है।

उन्होने आगे कहा: “इसके उदाहरणों में शामिल हैं: सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्रों को समुद्र के अंदर भूकंपों अपर जानकारी प्रदान करना; ज्वालामुखी फूटने की रियल-टाइम निगरानी ताकि नागरिक उड्डयन अधिकारियों को समय पर चेतावनी जारी करने के लिए सक्षम किया जा सके; और बड़े पैमाने पर मौसम की घटनाओं और बर्फ की चट्टानों के ढहने पर नज़र रखना। प्रणाली की तुलना पृथ्वी के विशाल स्टेथोस्कोप से की गई है।” 

इकेडा यूएन महासचिव बान की-मून के साथ सहमत हैं कि लागू होने से भी पहले, सीटीबीटी द्वारा जानें बचाई जा रही हैं। “बेशक संधि और उसकी जांच व्यवस्था, जिसे असल में परमाणु हथियारों की दौड़ और परमाणु प्रसार को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था, अनेक लोगों की जानों को बचाते हुए, एक अनिवार्य मानवीय सुरक्षा उपाय बन गई है,” कहना है बौद्ध दार्शनिक, लेखक और शांति-निर्माता का।

जैसा कि वियना में आईडीएन को सीटीबीटीओ विशेषज्ञों ने समझाया, विश्व निगरानी स्टेशन वियना में सीटीबीटीओ के मुख्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय डेटा केंद्र (आईडीसी) को गिगाबाइट्स में आंकड़े भेजते हैं। आंकड़ों को संसाधित कर सीटीबीटीओ के सदस्य राष्ट्रों को कच्चे और विश्लेषित रूप में वितरित किया जाता है।

इकेडा परमाणु हथियारों के प्रतिबंध के लिए ठोस कानूनी उपायों का संबोधन करने के लिए यूएन महासभा द्वारा स्थापित नए ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप (ओईडबल्यूजी) के लिए भी प्रस्ताव देते हैं। परमाणु मुक्त दुनिया को प्राप्त करने के लिए ग्रुप कानूनी उपायों और मानदंडों पर काम करने के लिए ठोस सत्रों की तैयारी कर रहा है। वह अन्तरिम परमाणु जोखिम कम करने के उपायों पर भी सुझाव देगा।

इकेडा आशाजनक घटनाओं का भी उल्लेख करते हैं, जिसमें यह तथ्य शामिल है कि 120 से ऊपर राष्ट्रों ने मानवीय प्रतिबद्धता, एक वचनबद्धता “परमाणु हथियारों को कलंकित करने, प्रतिबंधित करने और समाप्त करने” के प्रति, और सिविल सोसाइटी से परमाणु हथियारों के उन्मूलन के लिए बढ़ती आवाज़ों का समर्थन किया है। उन्होने आस्था आधारित संगठनों और युवाओं के प्रयासों पर प्रकाश डाला है जिसका समर्थन एसजीआई ने किया है, जिसमें अगस्त 2015 में हिरोशिमा में आयोजित परमाणु उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय युवा सम्मेलन शामिल है। [IDN-InDepthNews-1 फ़रवरी 2016]

 

Search

Newsletter

Report & Newsletter

Toward a World Without Nuclear Weapons 2022

Scroll to Top